रागा आज भी नमो का सामना नहीं कर पाते
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी को अभी भी राजनीति में परिपक्वता पाने के लिए इंतज़ार करना पड़ेगा. कभी आपदा पर्यटन के लिए किरकिरी करवाना हो या फिर खुद से खुद ही इस्तीफा देने के लिए तैयार करना फिर रोकना हो श्री राहुल गाँधी उर्फ़ रागा का तो अपना ही अजीबोगरीब स्वाँग है जिसको रचना पीएम नरेंद्र मोदी के बस की भी बात नहीं है. आज संसद में चर्चा का समय था और पीएम मोदी ने मानो एक करंट सा अपने कटाक्षी तकरीर के माध्यम से दूसरी ओर बैठे राहुल गाँधी तक पहुंची दी हो. उन्हें करीब आधा घंटा लगा जिसके बाद ही वह रियेक्ट कर सकें. उन्हें तो अब ट्यूबलाइट" की उपाधि भी दे दी गई है. कांग्रेस गण के नेता भी उनकी किरकिरी पर हॅसने से खुद को रोक नहीं सके.
राहुल गाँधी ने प्रतिउत्तर ज़रूर दिया लेकिन वह अपनी बात को ऑन रिकॉर्ड नहीं करवा सके क्योंकि उनकी आवाज़ माइक पर रिकॉर्ड ही नहीं हो पाई. क्या राहुल गाँधी विपक्ष के नेता कहलाने लायक है ? राजनितिक पंडितो का भी सिर इस बात पर उलझन खा जाता है कि आखिर माजरा क्या है ? नरेंद्र मोदी तो भाजपा के सबसे बड़े नेता है ही लेकिन कांग्रेस में सभी राहुल गाँधी को आज भी अपना नेता किस आधार पर मान लेते यह भी जनता के सामने सिद्ध किए जाने की आवश्यकता है. Read Also
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